Shayari

मैं अन्धेरा हूं तो अफसोस क्यूं करूं
खुश हुं कि रौशनी का वजूद मुझसे है....!!

पेहली मोहब्बत के गुनाहों को
 छुपाने के लिये क्या क्या करना पड़ता है....

किसी को बैठ कर रोना तो किसी
 को फिर से दिल लगाना पड़ता है.....

सब तरह की दीवानगी से वाकिफ हुए हम,
पर माँ जैसा चाहने वाला जमाने भर में ना था....

मत सोच इतना ज़िन्दगी के बारे में
जिसने ज़िन्दगी दी है उसने भी कुछ तो सोचा होगा

ढूंढ तो लेते अपने प्यार को हम, ;
शहर में भीड़ इतनी भी न थी..;
पर रोक दी तलाश हमने, ;
क्योंकि वो खोये नहीं थे, बदल गये थे

जब मिलो किसी से
तो जरा दूर का रिश्ता रखना,
बहुत तङपाते है
अक्सर सीने से लगाने वाले।

अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों,
न बताऊं तो 'कायर', बताऊँ तो 'शायर'।

ना जाने किस बात पे वो नाराज हैं हमसे,
ख्वाबों मे भी मिलता हूँ तो बात नही करती।

मुझसे खुशनसीब हैं मेरे लिखे ये लफ्ज,
जिनको कुछ देर तक पढ़ेगी निगाहे तेरी।

लोग पूछते हैं क्यों सुर्ख हैं तुम्हारी आँखे,
हंस के कह देता हूँ रात सो ना सका,
लाख चाहूं मगर ये कह ना सकूँ,
रात रोने की हसरत थी रो ना सका।

बिन बात के ही रूठ जाने की आदत है,
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है,
आप खुश रहें, मेरा क्या है मैं तो आईना हूँ,
मुझे तो टूटने की आदत है।

इश्क का धंधा ही बंद कर दिया साहेब,
मुनाफे में जेब जले, और घाटे में दिल।

चाहा था मुक्कमल हो जाए मेरे गमो  की कहानी,
मैं लिख ना सका कुछ भी तेरे नाम से आगे।

अगर नींद आ जाये तो, सो भी लिया करो,
रातों को जागने से, मोहब्बत लौटा नहीं करती।

कुछ हार गई तकदीर कुछ टूट गये सपने,
कुछ गैरों ने किया बरबाद कुछ भूल गये अपने।

कितना अजीब है लोगों का
अंदाज़-ए-मोहब्बत
रोज़ एक नया ज़ख्म देकर कहते हैं
अपना ख्याल रखना।

कांच के दिल थे जिनके उनके दिल टूट गए,
हमारा दिल था मोम का पिघलता ही चला गया।

छुप के तेरी तस्वीरें देखता हूँ,
बेशक तू ख़ूबसूरत आज भी है,
पर चेहरे पर वो मुस्कान नहीं,
जो मैं लाया करता था।

मुझे तो आज पता चला कि मैं किस क़दर तनहा हूँ, पीछे जब भी मुड़ कर देखूं तो मेरा साया भी मुँह फेर लेता है…!

दिल को कागज समझ रखा है क्या !

आते हो, जलाते हो, चले जाते हो !!

मुझको तो होश नहीं तुमको खबर हो शायद !

लोग कहते हैं तुमने मुझे बरबाद कर दिया !

वो लोग बहोत ख़ास होते है हमारी जिंदगी में…..
जो अपनी नींदे भूल जाते है हमसे बात करने के लिए

हाल पूछा न करे हाथ मिलाया न करे
मैं इसी धूप में ख़ुश हूँ कोई साया न करे

जीन लोगोने अपनी औकात दिखा दी है ना,
हमने उनके लिए भी अपना फर्ज निभाया है।

कभी-कभी क़ोई पूछ लेता है 'वो कौन थी',
अब मैं भी जवाब दे देता हूँ, 'क़ोई ग़ैर थी' !!

मैंने ज़िंदगी से पुछा कि तू इतनी कठिन क्यों है?
ज़िंदगी ने हंसकर कहा, “दुनियां आसान चीज़ों की कद्र नहीं करती”

म अपनी ज़िंदगी में हर किसी को इसीलिए एहमियत देते हैं,
क्योंकि जो अच्छा होगा वो ख़ुशी देगा,
और जो बुरा होगा वो सबक देगा….

जीवन में सबसे कठिन दौर यह नहीं है जब कोई तुम्हें समझता नहीं है,
बल्कि यह तब होता है जब तुम अपने आप को नहीं समझ पाते….

लीज पर मिली है ये जिन्दगी,
रजिस्ट्री के चक्कर में ना पड़ें….

जीवन में एक बार जो फैसला कर लिया तो फिर पलट कर मत देखो,
क्योंकि
पलट-पलट कर देखने वाले इतिहास नहीं बनाते….

आ कोई किसी के बगैर ये हकीकत है जिंदगी की,
लेकिन
सिर्फ साँसें लेने को ‘जीना’ तो नहीं कहते…

हँसना ज़िंदगी है,
हँस कर गम भुलाना ज़िंदगी है,
जीत कर हँसे तो क्या हँसे,
हार कर ख़ुशियाँ मनाना ज़िंदगी है…

ज़िंदगी एक रात है,
जिसमें ना जाने कितने ख्वाब हैं,
जो मिल गया वो अपना है,
जो टूट गया वो सपना है…..

“जीवन में अगर बुरा वक्त नहीं आटा तो अपनों में छुपे हुए गैर और गैरों में छुपे हुए अपने कभी नजर नहीं आते.”

शायरी खुदखूशी का धंधा है,
अपनी ही लाश अपना ही कंधा है

आईना बेचता फिरता है शायर,
उस शहर में जो शहर ही अंधा है

बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी
अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है!

जो कभी डरी ही नहीं मुझे खोने से…
वो क्या अफसोस करती होगी...
मेरे ना होने से.....

उन की ना थी गलती हम ही कुछ गलत समझ बैठे,
वो मोहबब्त से बात करते थे हम मोहबब्त ही समझ बैठे

ज़रा सी उदासी हो, और वह पूरी कायनात पलट दे...,,
ऐसा भी एक यार तो होना चाहिए....,,

बात सिर्फ मोहब्बत की नहीं है,
मेरा जेहन आदी हैं उसके ख्याल का...!

सच्ची मोहब्बत कच्ची उम्र में ही होती है
बाद में तो सब समझदार हो जाते है

जो ज़िन्दगी  है
 वही  ज़िन्दगी  मे क्यु  नही

तेरा इश्क़ भी बड़ा बेदर्दी है सनम,
सांसे भी ले जाता है,मरने भी नहीं देता।
तूँ वादा तो करता है, साथ रहने का,
बस दर्द रहता है, तूँ दिखाई नहीं देता।।

बिन तुम्हारे कभी नहीं आयी...
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है...

तुम पर गुजरी तो आह
हम पर गुजरी तो वाह

सूखा दरिया का पानी हूँ साहब,
मैं रोता हूँ, फिर भी नहीं बहता!

          

न खेल दिल से मेरे न जज़्बातों से
बहुत बुरी तरह टूटा है ये दिल
अब डर लगता है इश्क़ की बातों से...


ये बात किसने फैलाई की मुझे इश्क है तुमसे,
हाँ तुमको यकीं आये तो अफवाह नहीं हैं ये !!"

जरूरी नही तुम मेरा हर कहना मानो
दहलीज पर रख दी चाहत अब आगे तुम जानो।

वो दुश्मन बनकर , मुझे जीतने निकले थे
दोस्ती कर लेते, तो मैं खुद ही हार जाता.

बदलती चीजें हमेशा अच्छी लगती है,
बदलते हुये अपने कभी अच्छे नहीं लगते।

हम तुम्हे कभी खुद से जुदा होने नही देंगे,
तुम देर से मिले इतना नुकसान ही काफी है।

बेमतलब बेफिजूल बेकार नहीं है
ये नये दौर के रिश्ते हैं बस वफादार ही नहीं है



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