पर्दा तो शर्म का ही काफी हैं,
वरना…इशारे तो घूँघट में भी होते है…
हम ‘बदला लेने की नही ,’बदलाव लाने की सोच रखते है।❜
❛जो दिल को अच्छे लगते है, उन्ही को अपना कहता हूँ..!! मुनाफा देखकर रिश्तों, की सियासत नहीं करता।।❜
❛चेहरे की हँसी से गम को भुला दो,
कम बोलो पर सब कुछ बता दो,
खुद ना रूठो पर सबको हँसा दो,
यही राज है ज़िन्दगी का,
जियो और जीना सिखा दो।❜
जो फकीरी मिज़ाज रखते हैं, वो ठोकरों में ताज रखते हैं ,
जिन को कल की फिकर नहीं, वो मुठ्ठी में आज रखते हैं..
❛तड़पते है नींद के लिए तो यही दुआ निकलती है,
बहुत बुरी है ये मोहब्बत किसी दुश्मन को भी ना हो...❜
पीला दे आज बोतल खोल के सारी
अगर गामे- ऐ
भूल गाए तो तेरा सरा महकना ही खरीद लेंगे !
मुझे यकीन है अपने लफ्जो के हुनर पर,कि लोग मेरा चेहरा भूला सकते है पर बाते नही |
*छोटे शहर के अखबार*
*जैसा हूँ मैं जनाब...*
*दिल से लिखता हूँ.*
*इसलिए कम बिकता हूँ...!!*
नशे में आने दे ऐ वक्त.!
होश में रहकर तेरे सब जवाब नहीं दे सकता !
मोहब्बत सर पे लेकर घूमता हूं।
क़यामत सर पे लेकर घूमता हूं।।
मेरा दिल है किसी दिल की अमानत।
अमानत सर पे लेकर घूमता हूं।।
अगर मिल जाएं तो उन पर उड़ेलूं।
शिकायत सर पे लेकर घूमता हूं।।
न अब तक काम आई मेरे, फिर भी।
शराफ़त सर पे लेकर घूमता हूं।।
बुज़ुर्गों ने जिसे ठोकर में रख्खा।
वो दौलत सर पे लेकर घूमता हूं।।
सियासत पांव में रख्खी है जब से।
हुकूमत सर पे लेकर घूमता हूं।।
बताए ख्वाब की ताबीर कोई।
मैं तुरबत सर पे लेकर घूमता हूं।।
मैं खाऊं ठोकरें लिख्खा है जिसमे।
वो किस्मत सर पे लेकर घूमता हूं।।
बंधी है सर पे दस्तारे अदावत।
अदावत सर पे लेकर घूमता हूं।।
है बेटी बाइसे रहमत जहां में।
मैं रहमत सर पे लेकर घूमता हूं।।
लगाकर नारा-ए-तकबीर राशिद।
मैं नुसरत सर पे लेकर घूमता हूं।।
*लोग उनके पीछे चलना चाहते हैं जो चाँद पे जाते हैं*
*सफलता तो उनके पीछे चलने में है जिन्होंने चांद के टुकड़े कर दिए*........🌹
ये मत समज के तेरे काबील नही हम
उनसे जाकर पुछ जिन्हे हासिल नही हम
कोशिश तो बहुत की थी मैने .... लेकिन कभी कीसीने "मौका" ही नही दीया..... "माँ"
विलन की कभी कोइ हीरोइन नहीं होती "जनाब"
सब दुश्मनभी ग़द्दार होते है....."KaBhai"
कुछ लोगों को लगता है
उनकी चालाकी मुझे समज नहीं आती....
पर मैं ख़ामोश हो के देखता हूँ
उन्हें मेरी नज़रों से गिरते हुए....
❛जाने क्या असर कर गयीं तेरी बातें,
वर्ना इस तरह कभी याद किसी की आयी न थी।❜
❛मोहब्बत अब नहीं रही जमाने में,
अब लोग इश़्क नहीं मज़ाक किया करते हैं।❜
❛काफी है तेरा अहसास ही जीने के लिये,
रूबरू होने की इतनी ख्वाहिश भी नहीं।❜
❛चलो समेट लेते हैं आज फिर अपने ग़म को,
कोई बड़े दिल से अलविदा कह गया है हमको।❜
बहुत शराब,चढाता हुँ रोज,
तब जाकर तुम, कहीं उतरती हो..
❛वो न कागज रखता है न किताब रखता है,
फिर भी वह सारी दुनिया का हिसाब रखता हैं।❜
❛अब छोड़ दिया है इश्क़ का स्कूल हमने भी,
हमसे अब मोहब्बत की फीस अदा नही होती।❜
❛जिंदगी के सफर से बस इतना ही सबक सीखा है,
सहारा कोई कोई ही देता है धक्का देने को हर शख्स तैयार बैठा है।❜
❛बिखरा वज़ूद, टूटे ख़्वाब, सुलगती तन्हाईयाँ,
कितने हसींन तोहफे दे जाती है ये अधूरी मोहब्बत।❜
❛हथियार तो सिर्फ सोंख के लिए रखा करते हे,
खौफ के लिए तो बस नाम ही काफी हे।❜
❛गजल लिखने लगा हूं मैं अब,
शायरियों में अब तुम समाती नहीं।❜
❛हर दिल के कुछ अपने दर्द होते हैं,
कुछ के फ़ीके कुछ के लाजवाब होते हैं।❜
❛एक उम्र वो थी कि जादू में भी यक़ीन था,
एक उम्र ये है कि हक़ीक़त पर भी शक़ है।❜
❛सबके कर्ज़े चुका दूँ मरने से पहले, ऐसी मेरी नीयत है;
मौत से पहले तू भी बता दे ज़िंदगी, तेरी क्या कीमत है।❜
❛दर्द तो मौजूद है दिल में दवा हो या न हो,
बंदगी हालत से ज़ाहिर है ख़ुदा हो या न हो।❜
❛जो भुला न सके वो दर्द कोई अपना था,
ख़ामोश होकर दिल को समझाया प्यार बस सपना था।❜
❛मुझे सिर्फ इश्क़ है, कोई उम्मीद नही है तुमसे।❜
❛किसी की बातें बेमतलब सी,
किसी की खामोशियाँ कहर सी हैं।❜
❛क़त्ल ही करना था तो खंज़र उठा लेते,
क्या ज़रूरत थी मुस्कुराने की।❜
❛ये जो मुस्कराहट का लिबास पहना है मैंने,
दरअसल खामोशियों को रफ़ू करवाया है !!❜
❛क्या पता तुम कब भूल जाओ ये मोहब्बत,
जिसे मै जिंदगी और तुम एक लफ्ज़ कहते हो।❜
❛जिंदगी में प्यार क्या होता है वो उस शख्स से पूछो,
जिसने दिल टूटने के बाद भी इंतजार किया हो !!❜
❛न जाने किसने चलाया ये तोहफे देने का रिवाज़,
गरीब आदमी मिलने-जुलने से डरता है साहब।❜
❛वो दर्द ही क्या जो जबान से अदा हो,
दर्द तो वो होता है जो जबान को खुलने ही ना दे।❜
❛मुश्कुराने पे सुरु हो और रुलाने पे खत्म हो जाये,
ये वही जुल्म है जिसे लोग महोब्बत कहते है।❜
❛एक तू ही है जिसे हर किस्सा सुनाने को जी चाहता है,
यू तो हमारे लब्ज सुनने को दुनिया बेताब है।❜
❛आपके कहने पे मैंने रात लौटा दी,
आप भी मेरे हँसी कुछ ख्वाब लौटा दो।❜
- दक्षेश कोन्ट्राकटर 'चातक'
❛हम भी पागल थे कभी इश्क़ में तेरे लेकिन अब,
तेरे चाहने वालों पे हँसी आती है।❜
❛मकसद तो दिल के सुकून का ही था,
कोई मंदिर चला गया कोई मधुशाला।❜
❛महफील भले ही प्यार करने वालो की हो,
उसमे रौनक तो दिल टुटा हुआ शायर ही लाता है।❜
❛बडी देर कर दी मेरा दिल तोडने में,
न जाने कितने शायर आगे चले गये !!❜
वो पूछ बैठे हमसे
रहने की कोई बेहतरीन जगह
हमने एक नज़र देखा उन्हें
और कहा अपनी औकात में .
*ढूंढना ही है तो परवाह करने*वालों को ढूंढ़िये ज़नाब...*
*इस्तेमाल करने वाले तो ख़ुद ही आपको ढूंढ लेंगे...*
*रिश्तों को ठंड लगने का खतरा हो तो गर्माहट के लिए......*
*कुछ देर खामोशी की शॉल ओढ़ लेने में कोई हर्ज़ नहीं....*
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